मैंने जीवन में अपने अनुभवों के आधार पर यह स्पष्ट रूप से महसूस किया है कि हमें जीवन में कोई भी चीज अकेले रूप में नहीं मिलती है बल्कि यह कई अन्य चीजों के पैकेज के रूप में मिलती है। यदि हम खुश और संतुष्ट रहना चाहते हैं तो हमें उनमें से सभी को न सिर्फ स्वीकार करना होगा बल्कि उनमें से प्रत्येक को खुश होकर प्यार भी करना होगा। इस खुशनुमा अनुभव को अपने जीवन में अनुभव करने का इसके अलावा और कोई विकल्प नहीं है।
In life we don’t get things in isolation but we get them in a packaged form containing a package of many small things algonwtih the main thing; AND if we want to be happy and satisfied in life; THEN we are required to not only accept each of them but love them also. There is no other way to feel this in life.
हम इसे उदाहरणों द्वारा ज्यादा अच्छे से समझ सकते हैं। यदि हम जीवन में जीवनसाथी चाहते हैं तो सामान्यतया हम उन्हें उनकी कुछ आदतों को देखकर पसंद करते हैं और उसी आधार पर उन्हें अपने जीवनसाथी के रूप में चुनते हैं। इसके बाद यदि हम चाहते हैं कि हमारा जीवन अच्छा हो तो हमें अपने जीवनसाथी को उनकी सारी अन्य आदतों के साथ स्वीकार करना होगा। ऐसा नहीं हो सकता कि हम उनकी सिर्फ एक या कुछ आदत को तो पसंद करें और उसे स्वीकार कर लें और सोचें कि बाकी को वे बदल लें या छोड़ दें। इसके साथ ही साथ हमें उनके सारे नाते रिश्तेदारों को भी खुश होकर स्वीकार करना होगा और उन्हें पसंद भी करना होगा। ऐसा भी नहीं हो सकता कि हम उनके कुछ रिश्तों को जो हमें पसंद आते हों उन्हें तो स्वीकार करें और बाकि को नहीं और उनसे उम्मीद करें कि वो भी उन रिश्तों को छोड़ दें। सरल शब्दों में कहा जाए तो हमें अपने जीवनसाथी को उनके वर्तमान स्वरुप में ही उनके सम्पूर्ण सोच-विचार, आदत-व्यवहार, अच्छाई-बुराई, सभी गुणों-अवगुणों के साथ पूरे पैकेज के रूप में ही स्वीकार करना होगा और उन्हें उनके इसी रूप में ख़ुशी से प्यार भी करना होगा। इसके अलावा यदि किसी और उपाय की उम्मीद रखेंगे तो जीवन में निराशा ही मिलेगी। हाँ यदि वे खुद ही अपनी किसी आदत को बदलना चाहें तो और बात है।
इसी तरह यदि हम व्यापार करना चाहते हैं तो वहां हमें व्यापार की परेशानियां, कंपिटीशन, लाभ हानि इत्यादि को भी उसके साथ स्वीकार करना होगा। यदि हम नौकरी करते हैं तो वहां हमें कंपनी की नीतियों को मानना होगा और कोई ना कोई हमारा बॉस भी जरूर होगा और हमें उसका कहना भी मानना होगा। नौकरी खोने का खतरा भी बना रहेगा।
इस तरह से हमने देखा कि हम अपने जीवन के सभी क्षेत्रों की अच्छी अच्छी बातों को तो अपने जीवन में पाना चाहते हैं परन्तु उसके साथ मिलने वाली बाकी अन्य चीजों को नहीं चाहते हैं जो कि संभव नहीं है। सागर मंथन में भी तो अमृत के साथ विष भी निकला था और यही जीवन का नियम भी है कि यहाँ भी अक्सर एक अच्छाई के साथ एक बुराई भी मिल जाती है। सागर मंथन के बाद वहां तो शंकर जी थे जिन्होंने विष को अपने गले में धारण कर लिया था परन्तु यहाँ हमें तो अपने जीवन में स्वयं ही शंकर बनना होगा और इसे अपनी सोच को ऊपर के नियम के अनुसार बदलकर और इसे प्रैक्टिकल बनाकर पूरा करना होगा।
ऐसा करके देखें। जरुर बहुत अच्छा लगेगा। जीवन सुखमय हो जायेगा। यह मेरी गारंटी है ………।
जीवन एक पैकेज को पढ़कर बहुत ही अच्छा लगा। आपको बहुत बहुत बधाई।
धन्यवाद्