जीवन vs रेल यात्रा 

हम ट्रेन से कहीं जाते हैं तो हम एक स्टेशन पर उसमें सवार होते हैं और उसकी किसी एक बोगी की किसी सीट पर बैठते हैं। इसी बीच ट्रेन में हर स्टेशन पर कुछ लोग चढ़ते हैं और कुछ लोग उतरते भी हैं। सामान्यतया हमारी यात्रा कुछ घंटों की होती है फिर हमारा गंतव्य स्टेशन आ जाता है और हम भी ट्रेन से उतर जाते हैं  और हमारी यात्रा समाप्त हो जाती है।

हम इस यात्रा की तुलना अपने जीवन की यात्रा से करें तो हम पाएंगे कि दोनों ही यात्राओं में बहुत सारी समरूपताएं हैं। 

ट्रेन में हमारी सीट के आजू बाजू और सामने जो लोग बैठते हैं वे वास्तविक जीवन में हमारे करीबी लोगों के जैसे हैं। ट्रेन में उनसे कुछ देर के लिए हमारे संबंध बनते हैं फिर उनमें से कोई उतर जाता है और फिर कोई नया आ जाता है। ऐसे ही लोगों का मिलना बिछड़ना उनका हमसे अच्छे संबंध बनना बिगड़ना इत्यादि वास्तविक जीवन में भी चलता रहता है।

ट्रेन में यदि किसी से हमारे अच्छे संबंध बन जाएं और उसका स्टेशन पहले आ जाए और उसे यदि हम बोलें कि आप यहां मत उतरो और अगले स्टेशन तक हमारे साथ चलो तो वह तैयार नहीं होगा और बोलेगा कि नहीं मेरा तो स्टेशन आ गया है मुझे उतरना होगा। इसी तरह जीवन में यदि हमारे किसी बहुत प्रिय व्यक्ति का अंत समय आ गया हो तो उसे हम किसी भी तरह नहीं रोक सकते हैं क्योंकि जीवन की यात्रा में उसका स्टेशन आ चुका है।

इसी तरह ट्रेन में जब हमारा गंतव्य आ जाए उस समय यदि हमारे साथ वाला कोई हमें बोले कि आप मुझे बहुत अच्छे लग रहे हो और चलो अगले स्टेशन पर मेरे साथ उतरना तो हम बोलेंगे कि नहीं मेरे को यहीं उतरना होगा मैं नहीं जा सकता हूँ। जब हमारे वास्तविक जीवन का भी अंत समय आ जाएगा तो हमारे करीबी नाते रिश्तेदार कोई भी कितना भी चाहेंगे वह हमें नहीं रोक सकेंगे और हम उनके साथ एक क्षण भी और अधिक नहीं रह पाएंगे क्योंकि हमारा स्टेशन आ चुका होगा और हमें वहां उतरना ही होगा।

इस तरह से मोटे तौर पर ट्रेन में हमारा चढ़ना वास्तविक जीवन में हमारे जन्म और  ट्रेन से उतरना हमारी मृत्यु के समकक्ष हैं और बीच की घटनाएं दैनिक जीवन की घटनाएं हैं।

ट्रेन की यात्रा करते समय हमें दो चीजें स्पष्ट पता होती हैं। पहली यह कि हमारी यात्रा  कुछ घंटों की है और दूसरी इस यात्रा में जो भी लोग हमसे मिलेंगे वे थोड़ी देर के लिए मिलेंगे और फिर हमें उनसे अलग होना ही है। इसलिए हम अपनी यह यात्रा आराम से करते हैं और यहाँ मिलने वालों से अच्छे संबंध बनाकर रखते हैं और उनकी कुछ बातों को इग्नोर भी कर देते हैं।

हम सोचें कि वास्तविक जीवन में भी तो हमारी यात्रा कुछ सालों की होती है अनंत समय के लिए नहीं पर हम इस बात को भूल जाते हैं। दूसरी यहां हमसे जो भी लोग मिलेंगे या हम जिनसे मिलेंगे उनसे हमारी मुलाकात सिर्फ गंतव्य स्टेशन के पहले तक ही होगी उसके बाद तो मुलाकात नहीं होनी है ना। उसके बाद तो हम सबको कहाँ और किसी यात्रा पर जाना है किसी को नहीं मालूम। इसलिए यहां भी ट्रेन की यात्रा के समान अच्छी सोच रखते हुए इस यात्रा को आराम से पूरी क्यों नहीं कर सकते हैं और लोगों से अच्छे संबंध बनाकर क्यों नहीं रख सकते हैं। सोच कर देखें जवाब जरूर हां में ही होगा।

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