दिनमान भारतीय ज्योतिष गणना के अनुसार सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक का कुल समय होता है। अर्थात यह पूरे दिन का मान होता है जो कि घंटों और मिनटों में निश्चित होता है। इसे और भी सरल शब्दों में कहें तो यह पूरे दिन की अवधि है। दिनमान पूरे साल में घटता बढ़ता रहता है। हमारे भारत में यह मार्च और सितम्बर के महीनों में रात के बराबर लगभग 12 घंटों का होता है। दिसंबर में सबसे छोटा लगभग 11 घंटों का होता है और जून में सबसे बड़ा लगभग 13 घंटों का होता है। इस तरह से किसी भी दिन के लिए उस पूरे दिन की इस समय अवधि को ही दिनमान कहते हैं।
यह हुई दिनमान कि बात। पर आप जरूर सोच रहे होंगे कि मैं यह सब क्यों बता रहा हूं। यह जानने से क्या हो जाएगा। यह सब हम क्यों जानें। और यदि आपको ऐसा लग रहा है तो अब बिल्कुल सही सोच रहे हैं। मैं भी आपको दिनमान शब्द के बारे में इसलिए नहीं बता रहा हूँ कि आप उसकी परिभाषा जान लें। बल्कि मैं यह बात इसलिए कर रहा हूँ क्योंकि मैं इसके बहाने आपको कुछ और बताना चाह रहा हूं। कुछ बताने के लिए भूमिका बनानी पड़ती है न, तो यह इस संबंध में मेरी भूमिका थी।
अब आगे जो मैं बताने जा रहा हूँ उसे आप सब ध्यान से सुनना। जो मैं बताने जा रहा हूं या जो मैं बोलने जा रहा हूं उसे यदि आपने अपने जीवन में उतार लिया तो समझ लो कि आज से ही आपकी जिंदगी बदल जाएगी। कुछ दिनों में ही आप वह नहीं रहेंगे जो आप आज हैं बल्कि कल आप कुछ और ही होंगे।
साथियों मैं ऐसा नहीं समझता कि इस दुनिया में कोई भी ऐसा आदमी होगा जो जिंदगी में कुछ ना कुछ नहीं चाहता होगा। हां यह बात जरूर है कि यह चाहत सबके लिए अलग अलग होगी। कोई अपने जीवन में खूब सारा पैसा चाहता होगा, कोई बहुत उन्नति करना चाहता होगा, कोई बहुत अच्छा स्वास्थ्य चाहता होगा, कोई हमेशा खुशी चाहता होगा, कोई कुछ और चाहता होगा। कोई साधु सन्यासी भी है तो जीवन में शांति और मोक्ष को पाना तो जरूर चाहता होगा। बस हर कोई कुछ ना कुछ तो जरूर चाहता होगा।
पर क्या यह संभव है कि यदि हम जिंदगी में कुछ बनना चाहते हैं, कुछ पाना चाहते हैं, कुछ अच्छा करना चाहते हैं और यह सब हमें बिना कुछ किये ही मिल जाए। नहीं ऐसा शायद कभी भी नहीं होगा। हमें यह सब पाने के लिए कुछ ना कुछ करना ही होगा। इस दिशा में कुछ न कुछ काम करना होगा, काम को भी अच्छी तरह से करना होगा, अपने अंदर कुछ बदलाव लाने होंगे।
इस संबंध में एक और प्रश्न भी अक्सर पूछा जाता है कि हमें दिन में कितने घंटे काम करना चाहिए। स्टूडेंट पूछते हैं कि हमें कितने घंटे पढ़ना चाहिए। कंपटीशन परीक्षा की तैयारी करने वाले पूछते हैं कि सेलेक्ट होने के लिए कितने घंटे तैयारी करना चाहिए। बिजनेस में सफल होने के लिए भी ऐसे ही बात की जाती है। आजकल एलन मास्क का उदाहरण बहुत दिया जा रहा है जो कि सप्ताह में 100 घंटे से ज्यादा काम करते हैं। इनके फॉलोअर्स हमें आगे बढ़ने के लिए 100 घंटे काम करने की सलाह देते हैं। तो आखिर एक सवाल पैदा होता है सफल होने के लिए हमें दिन में कितने घंटे काम करना चाहिए। क्या इस प्रश्न का कोई एक ऐसा जवाब दिया जा सकता है जो कि लगभग सभी के लिए लागू हो। 8 घंटे, 10 घंटे, 12 घंटे या 14 घंटे या कुछ और।
इसका जवाब देने के लिए अब मैं अपनी मूल बात पर आता हूं। मैंने शुरू में जो दिनमान शब्द की बात की थी। मेरा मानना है कि प्रकृति ने दिन और रात की व्यवस्था इसलिए की है कि दिन में हम अपना काम करें और रात में आराम इत्यादि बाकी सब करें। तो इस हिसाब से हमें जिस दिन का जितना दिनमान है उस दिन उतने घंटे काम करना चाहिए। अर्थात साल भर के दिनों में 11 घंटे से लेकर 13 घंटे तक काम करना है। औसत में हम चाहें तो पूरे साल भर इसे 12 घंटे रोज का रख सकते हैं। क्या आप इसके लिए तैयार हैं।
एक बात और करनी है मुझे। ध्यान से समझना और इसके सार को अपने अंदर उतरने देना। मान शब्द का एक और अर्थ होता है। किसी को मान देना। अर्थात उससे मिलकर खुश महसूस करना, उसको महत्व देना, उसकी बात मानना, उसकी इच्छा पूरी करना, उसका सम्मान करना, उसकी इज्जत करना। देखिएगा अक्सर लोग कहते हैं कि फलां ने मेरा मान नहीं रखा, मैं किसी फंक्शन में गया था वहां मेरा मान नहीं हुआ, मेरी बहु मेरा मान नहीं करती, इत्यादि।
ऐसा ही हमसे हमारा दिन भी उम्मीद रखता है। वह चाहता है कि माह उसका मान करें, उसे महत्व दें, उसकी बात मानें, उसकी इच्छा पूरी करें, उसको सम्मान दें, उसकी इज्जत करें।
तो अब क्या करना है। अब हमें भी अपने दिन को मान देना है। अब यदि हमें अपने दिन का मान करना है तो इसके लिए हमें क्या करना होगा। ठीक वही जो हम दूसरे आदमी को मान देने के लिए करते हैं। सबसे पहले तो हमें उसको पाकर खुश होना होगा अर्थात जो आज का दिन मिला है उसके लिए ईश्वर के प्रति कृतज्ञ होना होगा कि हमें आज का यह दिन मिला। दूसरा हमें उसके लिए अच्छा सोचना होगा और उसके लिए कुछ करना होगा। अब चूंकि यह कोई जीवित चीज नहीं है तो यह दो काम इसका भरपूर सदुपयोग करके कर सकते है। अब यह सदुपयोग कैसे हो सकता है यह इस पर निर्भर करेगा कि हमारा लक्ष्य क्या है। यह लक्ष्य जीवन के किसी क्षेत्र में सफलता पाना हो सकता है या खुशी पाना हो सकता है या कुछ और हो सकता है। अब हमें वह करना होगा जो कि हमें हमारे लक्ष्यों की दिशा में आगे लेकर जाए।
इसलिए हम इस दिशा में काम करें, अपने काम अच्छे से करें, अपना कामों को दिल लगाकर करें। यदि हमने ऐसा किया तो समझो कि हमने अपने दिन का सदुपयोग किया, हमने अपने दिन का मान रखा। और कहते हैं न कि जो हम देते हैं हमें वापस भी वही मिलता है। इसलिए यदि हम दिन का मान रखेंगे तो दिन हमारा भी मान रखेगा।
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