सच्ची ख़ुशी

जिस कालोनी में हम रहते हैं वहां अभी भी कुछ मकान बन रहे हैं। इसलिए वहां काम करने वाले मजदूर भी वहीं छोटी-छोटी झोपड़ी बनाकर रहते हैं।  उनके साथ उनका परिवार भी रहता है। कॉलोनी के गेट के पास एक किराना सामान की दुकान भी है। मैं सुबह सुबह घूमने जाता था तो अक्सर वहां • Read More »


एक अच्छी आदत काफी है 

एक बार मैंने गूगल सर्च किया कि सफल होने के लिए हमारे अंदर कौन सी आदतें, गुण या क्वालिटीस होनी चाहिए। ढेर सारी लिस्ट आ गई। सफल होने के लिए कई तरह के उपाय बताए गए।  इसमें कोई शक नहीं है कि लिस्ट में सुझाई गई सभी आदतें अच्छी अच्छी थीं। उपाय भी अच्छे बताए • Read More »


जीवन एक पैकेज है

मैंने जीवन में अपने अनुभवों के आधार पर यह स्पष्ट रूप से महसूस किया है कि हमें जीवन में कोई भी चीज अकेले रूप में नहीं मिलती है बल्कि यह कई अन्य चीजों के पैकेज के रूप में मिलती है। यदि हम खुश और संतुष्ट रहना चाहते हैं तो हमें उनमें से सभी को न • Read More »


यात्रा और मंजिल

कुछ दिन पहले शिवानी बता रही थीं कि एक बार ब्रम्हाकुमारी के केंद्र में कुछ मेहमान आए थे। वे सब केंद्र में रुके और दादी से मुलाकात किये फिर उन्होंने दादी से आसपास की जगह देखने की इच्छा व्यक्त की। दादी ने अपने केंद्र के एक लड़के को बुलाकर कहा कि इनको आसपास की जगह • Read More »


जीवन vs रेल यात्रा 

हम ट्रेन से कहीं जाते हैं तो हम एक स्टेशन पर उसमें सवार होते हैं और उसकी किसी एक बोगी की किसी सीट पर बैठते हैं। इसी बीच ट्रेन में हर स्टेशन पर कुछ लोग चढ़ते हैं और कुछ लोग उतरते भी हैं। सामान्यतया हमारी यात्रा कुछ घंटों की होती है फिर हमारा गंतव्य स्टेशन • Read More »


उन्नति

हमारे आसपास कुछ लोग मिल सकते हैं जिनके बारे में लोग यह मानते थे कि ये लोग बेवकूफ और गधे हैं और ये अपने जीवन में कुछ नहीं कर पाएंगे। परंतु बाद में इन लोगों ने बहुत उन्नति की और जीवन में बहुत आगे भी बढ़े। इसका कारण क्या है?  इसके विपरीत हमें ऐसे लोग • Read More »


क्या सोच रहे थे

क्या सोच रहे थे हम अक्सर कई बार पाते हैं कि हमारा मूड सही नहीं है और साथ ही हम महसूस करते हैं कि हमें अच्छा भी नहीं लग रहा है। हम इसके कारण पता लगाना चाहते हैं और काफी विचार भी करते हैं परंतु अक्सर हम इसका कारण पता नहीं लगा पाते हैं। फिर • Read More »


दो वादे खुद से …….

दो वादे खुद से ……. आज यूट्यूब पर एक वीडियो देख रहा था। यह मोटीवेशनल था जिस पर स्पीकर ने रोज अपने आपसे दो वादे करने को कहा। उसने अपने 20 साल के अनुभव के आधार पर इस बात की गारंटी भी दी कि यदि हम रोज अपने आपसे दो वादे करते हैं और उन • Read More »


एक फुदकती हुई चिड़िया

एक फुदकती हुई चिड़िया कुछ दिनों पहले लाॅक डाउन के समय एक चिड़िया को खेलते देखकर मैंने एक कविता लिखी थी जिससे यहां पोस्ट कर रहा हूं – लॉक डाउन का समय था, खिड़की पर यूँ ही खड़ा हो गया, बाहर नजर पड़ी तो एक सुंदर सी छोटी सी चिड़िया, यूँ ही फुदक रही थी,  • Read More »