जिंदगी का डीओ

जिंदगी का डीओ

गर्मी के दिनों में हमारी कॉलोनी में अक्सर सुबह-सुबह लाइट गोल हो जाती थी। सुपरवाइजर से फोन करके पूछने पर वह बोलता था कि सर ट्रांसफार्मर का डीओ गिर गया है बिजली वाले को फोन किया हूं वह आकर ठीक कर देगा और उसके कुछ देर बाद लाइट आ जाती थी। मुझे आश्चर्य होता था कि यह डीओ आखिर होता क्या है। फिर एक दिन वह सुबह सुबह मुझे कालोनी में घूमता हुआ मिल गया तो मैं उससे पूछा कि डीओ क्या होता है और उसका फुल फार्म क्या होता है। वह बोला कि चलिये ट्रांसफॉर्मर के पास चलते हैं वहां डीओ दिखा दूंगा। हमने जाकर देखा तो पता चला कि डीओ एक पतला सा तार होता है जो कि ट्रांसफार्मर के मेन पार्ट को उसके बाहर के एक पार्ट से जोड़ता है। यह कभी कभी हवा की वजह से उड़ जाता है या कभी-कभी लाइट में ज्यादा फ्लकचुएशन होने से वह जल जाता है। बिजली वाला आकर उस तार को ठीक कर देता है और लाइट चालू हो जाती है। इसमें ट्रांसफार्मर पूरी तरह से सही होता है और यदि हम ट्रांसफार्मर की जांच करें तो हमें उसमें कोई भी खराबी नहीं मिलेगी। बस उस छोटे से तार की वजह से पूरा ट्रांसफार्मर काम करना बंद कर देता है। 

अब हम इसे हम अपनी जिंदगी से जोड़कर देखते हैं। हमें महसूस होगा कि इसी तरह कई बार हमारी जिंदगी भी पूरी तरह से सही दिखाई देती है लेकिन फिर भी हम खुश नहीं होते हैं। हमें समझ में नहीं आता कि कहां परेशानी है। हम उस परेशानी को पकड़ नहीं पाते हैं। हो सकता है कि यह भी उस डीओ के समान एक छोटी सी बात हो लेकिन उसे हम समझ नहीं पा रहे हों। हम इसको  जिंदगी का डीओ भी कह सकते हैं। 

यदि हम इसे पहचान कर ठीक कर लेते हैं तो हमारी जिंदगी भी बिजली के ट्रांसफार्मर के समान पूरी तरह सही हो जाएगी और जिंदगी की लाइट एकदम जगमगा जाएगी।

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