क्या सोच रहे थे

क्या सोच रहे थे

हम अक्सर कई बार पाते हैं कि हमारा मूड सही नहीं है और साथ ही हम महसूस करते हैं कि हमें अच्छा भी नहीं लग रहा है। हम इसके कारण पता लगाना चाहते हैं और काफी विचार भी करते हैं परंतु अक्सर हम इसका कारण पता नहीं लगा पाते हैं। फिर हम या तो टीवी देखने लग जाते हैं या फोन पर किसी से बात कर लेते हैं या सोशल मीडिया में एक्टिव हो जाते हैं या चाय पी लेते हैं या इसी तरह से किसी और एक्टिविटी में व्यस्त हो जाते हैं। ऐसा करने से हमारा ध्यान दूसरी जगह चला जाता है और कुछ समय बाद हम पाते हैं कि हमारा मूड बदल गया है।

शिवानी कहती हैं कि मूड बदलने का यह तरीका सही नहीं है। इसमें हमने अपना ध्यान  दूसरी जगह  व्यस्त कर दिया है परंतु मूड खराब होने के कारण को दूर नहीं किया है। इसलिए जब भी आपको लगे कि आपको अच्छा नहीं लग रहा है तो आप रुक कर ध्यान से सोचें कि अभी से कुछ समय पहले तक आप क्या सोच रहे थे। हम जो सोच रहे थे उसका रिफ्लेक्शन हमारे मूड पर आता है और उसके अनुसार हमारा मूड अच्छा या बुरा हो जाता है। यदि हम ध्यान से इस बात पर विचार करेंगे कि हम क्या सोच रहे थे तो हम धीरे-धीरे यह समझने लग जाएंगे कि हमें अच्छा या बुरा जो भी महसूस हो रहा था वह सब हमारे विचारों के कारण था। 

इससे एक निष्कर्ष और निकलता है कि यदि हमें हमारा मूड बदलना हो तो हम अपने विचार बदलकर ऐसा कर सकते हैं। इस तरह यदि विचार बदलने से मूड बदल जाता है तो यदि विचार हमेशा अच्छे रहें तो मूड भी हमेशा अच्छा रहेगा। इसलिए क्यों ना हम हमेशा हमारे विचारों का ध्यान रखें और अच्छे और सकारात्मक विचार ही मन में लाएं।

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